संत तुकाराम



{ 🌿संत तुकारामानी सहज लिहिता लिहिता किती छान ओळी लिहून ठेवल्यात पहा....🌿

घासावा शब्द | तासावा शब्द |
तोलावा शब्द | बोलण्या पूर्वी ||
शब्द हेचि कातर | शब्द सुईदोरा
बेतावेत शब्द | शास्त्राधारे ||
बोलावे मोजके | नेमके ,खमंग ,खमके |
ठेवावे भान | देश ,काळ ,पात्राचे||
बोलावे बरे | बोलावे खरे |
कोणाच्याही मनावर | पाडू नये चरे ||
कोणाचेही वर्म | व्यंग आणि बिंग |
जातपात धर्म | काढूच नये ||
थोडक्यात समजणे | थोडक्यात समजावणे |
मुद्देसुद बोलणे | हि संवाद कला
शब्दांमध्ये झळकावी | ज्ञान ,कर्म ,भक्ती |
स्वानुभवातून जन्मावा | प्रत्येक शब्द ||
शब्दां मुळे दंगल | शब्दां मुळे मंगल |
शब्दांचे हे जंगल | जागृत राहावं ||
जीभेवरी ताबा | सर्वासुखदाता |
पाणी ,वाणी ,नाणी | नासू नये|| }